काशी पंचकर्म अस्पताल
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पंचकर्म कराएं, रोगों से मुक्ति पाएं

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों द्वारा शरीर का शुद्धिकरण ही पंचकर्म है।
यह शरीर की विषाक्तता को दूर करके आपको स्वस्थ, सुंदर, दीर्घायु और पवित्र बनाता है।

पंचकर्म के लाभ:

  • सभी प्रकार की जकड़न और दर्द में राहत
  • गठिया, कमर दर्द, स्पॉन्डिलाइटिस, गर्दन और सिरदर्द
  • पेट दर्द और अंगों में होने वाले पुराने रोग
  • लिपिड प्रोफाइल (कोलेस्ट्रॉल) केवल 11 दिन में सामान्य करें

चिकित्सा सुविधाएँ:

  • हड्डी, नस और जोड़ के सभी रोगों का इलाज
  • पीलिया, दमा, लकवा जैसे रोगों की चिकित्सा
  • बवासीर, भगंदर का क्षारसूत्र द्वारा इलाज
  • सामान्य रोगों की सुरक्षित आयुर्वेदिक चिकित्सा
  • नि:संतान दंपत्तियों के लिए उपचार
  • शुक्राणुओं की कमी व नपुंसकता का इलाज
  • प्रदर रोग की विशेष चिकित्सा

अभ्यंग (Abhyanga)

आयुर्वेदिक तेल से सम्पूर्ण शरीर की मालिश, जो दोष संतुलन, तंत्रिका शिथिलता, त्वचा पोषण और मानसिक शांति प्रदान करती है।

अभ्यंग क्या है?

अभ्यंग एक पारंपरिक आयुर्वेदिक तेल मालिश है जिसमें पूरे शरीर में गर्म हर्बल तेलों से सिर से पैर तक लयबद्ध तरीके से मालिश की जाती है। यह शरीर को शुद्ध करता है, रक्त संचार को बढ़ाता है और मानसिक तनाव को दूर करता है।

प्रक्रिया (स्टेप बाय स्टेप)

  • शरीर पर गर्म हर्बल तेल लगाया जाता है।
  • सर से पैर तक लयबद्ध और रोम की दिशा में मालिश होती है।
  • मर्म बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
  • 10–25 मिनट तक तेल को सोखने दिया जाता है, फिर स्नान कराया जाता है।

लाभ

  • रक्त परिसंचरण में सुधार
  • तनाव व चिंता में राहत
  • त्वचा कोमल व पोषित होती है
  • जोड़ों का दर्द और मांसपेशियों में लचीलापन
  • ऊर्जा और उत्साह में वृद्धि

सावधानियाँ

  • बुखार, संक्रमण या पेट खराब होने पर न करें
  • भोजन के तुरंत बाद न कराएं
  • गर्भवती महिलाएं चिकित्सक से परामर्श लें

स्वेदन (Swedan)

आयुर्वेदिक भाप चिकित्सा जो शरीर से विषाक्त तत्वों को पसीने द्वारा बाहर निकालती है और वात दोष को संतुलित करती है।

स्वेदन क्या है?

स्वेदन एक आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें रोगी को औषधीय भाप दी जाती है। यह भाप त्वचा के छिद्रों को खोलती है, जिससे पसीने के माध्यम से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं। यह विशेष रूप से वातजन्य रोगों में उपयोगी है और पंचकर्म चिकित्सा की मुख्य प्रक्रिया में से एक मानी जाती है।

प्रक्रिया (Step by Step)

  • रोगी को एक विशेष स्टीम बॉक्स या कुर्सी पर बैठाया जाता है।
  • सिर बाहर रखा जाता है ताकि ताप नियंत्रण बना रहे।
  • हर्बल औषधियों से युक्त भाप धीरे-धीरे पूरे शरीर को दी जाती है।
  • भाप 15–20 मिनट तक दी जाती है जब तक पसीना ना आ जाए।
  • इसके बाद गुनगुने जल से स्नान करवाया जाता है।

लाभ (Benefits)

  • शरीर से विषैले तत्वों का नाश
  • जोड़ों व मांसपेशियों के दर्द में राहत
  • त्वचा में चमक और नमी की वृद्धि
  • तनाव, थकान और अनिद्रा में सुधार
  • रक्त परिसंचरण को सक्रिय करता है

सावधानियाँ

  • बुखार, कमजोरी या दिल की बीमारी वाले रोगी पहले चिकित्सक से परामर्श लें।
  • भूखे या पूर्ण पेट स्वेदन न कराएं।
  • गर्भवती महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं है।

वमन (Vaman)

यह पंचकर्म की प्रमुख प्रक्रिया है, जिसमें आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा वमन (उल्टी) कराकर कफ दोष का शुद्धिकरण किया जाता है।

वमन क्या है?

वमन चिकित्सा एक नियंत्रित और चिकित्सकीय उल्टी की प्रक्रिया है, जो विशेष रूप से कफ दोष से संबंधित रोगों जैसे कि दमा, खांसी, मोटापा, एलर्जी आदि के उपचार में उपयोगी है।

प्रक्रिया (Step by Step)

  • पूर्व कर्म: स्नेहन और स्वेदन
  • मुख्य कर्म: औषधीय काढ़ा देकर वमन
  • उत्तर कर्म: विश्राम और विशेष आहार

लाभ (Benefits)

  • कफजन्य रोगों में लाभ
  • श्वसन तंत्र की शुद्धि
  • त्वचा रोग और एलर्जी में राहत
  • मोटापा व कोलेस्ट्रॉल में कमी

सावधानियाँ

  • केवल योग्य चिकित्सक की देखरेख में करें
  • कमजोर या अति वृद्ध व्यक्ति पर न करें
  • विश्राम और भोजन विधि का पालन जरूरी

विरेचन (Virechan)

आयुर्वेदिक विधि द्वारा शरीर से पित्त दोष को बाहर निकालने की प्रक्रिया — शरीर का प्राकृतिक शुद्धिकरण।

विरेचन क्या है?

विरेचन एक आयुर्वेदिक प्रक्रिया है जिसमें औषधियों के माध्यम से शरीर से पित्त दोष को बाहर निकाला जाता है। यह प्रक्रिया पाचन तंत्र, यकृत (लिवर), और आँतों की गहराई से सफाई करती है। आमतौर पर इसका उपयोग त्वचा रोग, एलर्जी, बवासीर, और पित्त विकारों के लिए किया जाता है।

प्रक्रिया (Step by Step)

  • पूर्व कर्म: स्नेहन और स्वेदन
  • मुख्य कर्म: औषधियों द्वारा रेचक (laxative) देकर शुद्धि
  • उत्तर कर्म: आहार और आराम की विशेष व्यवस्था

लाभ (Benefits)

  • पाचन क्रिया में सुधार
  • त्वचा रोगों जैसे एक्जिमा, सोरायसिस में लाभ
  • पित्त से जुड़ी बीमारियों में राहत
  • लीवर डिटॉक्स और रक्त की शुद्धता

सावधानियाँ

  • गर्भवती, अति दुर्बल या बूढ़े लोगों पर नहीं करना चाहिए
  • योग्य वैद्य की निगरानी में ही करें
  • विरेचन के बाद विशेष आहार नियम का पालन अनिवार्य

बस्ति (Basti)

बस्ति पंचकर्म की प्रमुख और प्रभावशाली चिकित्सा है, जो वात दोषों को संतुलित करने में अत्यंत उपयोगी होती है।

बस्ति क्या है?

बस्ति एक आयुर्वेदिक एनीमा (enema) चिकित्सा है जिसमें औषधीय तेलों या काढ़ों को गुदा मार्ग से शरीर में दिया जाता है। यह वात दोष को नियंत्रित करने का सबसे प्रमुख उपाय है। इसे आधा चिकित्सा भी कहा गया है क्योंकि इसका असर शरीर पर व्यापक होता है।

प्रक्रिया (Step by Step)

  • पूर्व कर्म: स्नेहन (तेल मालिश) और स्वेदन (भाप)
  • मुख्य कर्म: बस्ति (औषधीय एनीमा) का प्रशासन
  • उत्तर कर्म: विश्राम और आहार नियम

लाभ (Benefits)

  • वात विकारों जैसे जोड़ दर्द, कमर दर्द, गठिया आदि में राहत
  • नसों की शुद्धि और स्फूर्ति में वृद्धि
  • बांझपन, नपुंसकता, मासिक धर्म विकारों में लाभ
  • हाजमा और मलोत्सर्ग सुधारता है

सावधानियाँ

  • गंभीर दस्त, बवासीर या गुदा रोगों में न करें
  • चिकित्सक की निगरानी में ही करवाएं
  • बस्ति के बाद विशेष आहार-विहार का पालन जरूरी है

रक्तमोक्षण (Raktmokshan)

रक्तमोक्षण एक आयुर्वेदिक चिकित्सा है जिसमें शरीर से दूषित रक्त को निकालकर विभिन्न रोगों का शमन किया जाता है।

रक्तमोक्षण क्या है?

यह पंचकर्म की पाँचवीं विधि है जो मुख्यतः त्वचा रोग, रक्तदोष और उच्च रक्तचाप जैसे रोगों के लिए प्रयोग की जाती है। इसमें दूषित रक्त को विशेष तकनीकों जैसे जोंक थेरेपी, सींग, या सिरा वेधन विधियों से निकाला जाता है।

प्रमुख विधियाँ

  • जोंक (Leech Therapy): सौम्य और सुरक्षित रक्तस्राव तकनीक
  • श्रृंग (Horn Therapy): वायुदोष शमन हेतु प्रयुक्त
  • सिरा वेधन (Venesection): नस काटकर रक्त निकालना

लाभ

  • त्वचा विकार जैसे सोरायसिस, एक्जिमा में लाभ
  • उच्च रक्तचाप और सिरदर्द में राहत
  • रक्त शुद्धिकरण और प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार

सावधानियाँ

  • कमज़ोरी, एनीमिया या रक्ताल्पता में न करें
  • केवल प्रशिक्षित वैद्य की देखरेख में करवाएँ

नस्य (Nasya)

नस्य एक प्रभावशाली पंचकर्म उपचार है जिसमें औषधीय तेल या रस को नाक के माध्यम से शरीर में प्रविष्ट कराया जाता है।

नस्य क्या है?

नस्य एक विशिष्ट आयुर्वेदिक प्रक्रिया है जिसमें औषधीय पदार्थों को नाक से डाला जाता है। यह सिर, मस्तिष्क, ग्रीवा (गर्दन), और ENT क्षेत्र से संबंधित रोगों में अत्यंत लाभकारी है। इसे पंचकर्म चिकित्सा की पाँचवीं क्रिया माना जाता है।

प्रक्रिया

  • रोगी को आरामदायक मुद्रा में लेटाया जाता है
  • नाक में निर्धारित मात्रा में औषधीय तेल या रस डाला जाता है
  • सिर, गर्दन और चेहरे की मालिश की जाती है
  • गर्म पानी से गरारा और भाप लिया जाता है

लाभ

  • सिरदर्द, साइनस, माइग्रेन और एलर्जी में राहत
  • नाक और गले की शुद्धि
  • चेहरे का सौंदर्य और चमक बढ़ती है
  • मानसिक तनाव और अनिद्रा में शांति

सावधानियाँ

  • भोजन के तुरंत बाद या अत्यधिक भूख में न करें
  • जुकाम, बुखार या बहुत कमजोर रोगी में न करें
  • प्रशिक्षित वैद्य की देखरेख में ही करवाना चाहिए